चांदनी रात

ये  मंज़र  है  अदाओं  के  बहकती  कायनातों  में,
अरे ओ दिल मेरे तू चल मोहब्बत की हैं ये चांदनी रात।

ये अपनी जिंदगी  हम-दम तुम्हारी ही  पनाहो  में,
बहुत बेचैन अरमां है  लिए यादों  की चांदनी रात।

ज़माने भर की मुश्किल को निपटने में महारत है,
ये ख्वाहिश है निगाहों की कही होगी ये चांदनी रात।

ये माना अजनबी है हम मिलेंगे या नहीं क्या अब
सरकती उम्र है अपनी ये भरोसे के है ये चांदनी रात।

मेरी  चाहत  की  बेताबी  तुम्हारे  हुस्न  की  बातें
कहीं मिल जायेंगे अपने तो होंगी फिर चांदनी रात।

हम तुम याद करेंगे बीते उन लम्हों को आज
हर अल्फाजों मे  देखो झलकती हैं ये चांदनी रात।

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8 Comments

Abhinav ji

10-Nov-2022 07:58 AM

Very nice👍

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बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

09-Nov-2022 09:50 PM

बहुत खूब

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